11.08.2011

ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते


आज कुछ बात है जो ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते 
जाने क्यूं अपने ही मालिक पे चढ़े हैं कुत्ते
बज़्म अदबी तो नज़ाक़त से शराफ़त से भी 
उस मुहल्ले से मुहल्ले के लड़े हैं कुत्ते 
ये तो अच्छा है सनद् इनको नहीं मिल पाई
वरना एल.एल.बी. एल.एल.एम. पड़े हैं कुत्ते
देर तक दूर तक आई जो यहां कुछ बदबू
ऐसा लगता है बहुत पास सड़े हैं कुत्ते
आदमी आदमी का साथ भले दे न दे
यूं वफादारी में हर मील जड़े हैं कुत्ते
यार मालिक को बचाना है, मुसीबत भारी
बांध कर पट्टा अदालत में खड़े हैं कुत्ते
वोट की चाहतें दुनिया ही बदल देती हैं
लाख दुत्कारो  मगर चिकने घड़े हैं कुत्ते
गोद में उसकी रहे खेले हंसे जी भर के 
आज  लगता है कि आदम से बड़े हैं कुत्ते

No comments:

Post a Comment