11.01.2011

कैसा है आज मौसम कुछ भी पता नहीं है


कैसा है आज मौसम कुछ भी पता नहीं है
है ईद या मुहर्रम कुछ भी पता नहीं है
सत्ता की चौधराहट ये वक्त है चुनावी
किसमें है कितना दमखम कुछ भी पता नहीं है
इस ज़िन्दगी ने हमको कुछ ऐसे दिन दिखाये
मन में खुशी है या ग़म कुछ भी पता नहीं है
सब सो रहे हैं डर के, अपनी अना के भीतर
बस्ती में गिर गया बम  कुछ भी पता नहीं है
रोने को रो रहे हैं हालात के मुताबिक
आंसू हुए क्या कुछ कम कुछ भी पता नहीं है
जीने को जी रहे हैं नायाब ज़िन्दगी सी
तुझसे कहें क्या हम दम कुछ भी पता नहीं है
शफ़्फ़ाक ज़िन्दगी की शफ़्फ़ाक सी ग़ज़ल है
शेरों में आ गया जम कुछ भी पता नहीं है

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